देहरादून। कर्मियों की तैनाती के मामले में हमेशा से विवादों में रहने वाला विभाग महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग लगातार सुर्खियों में रहता है। एक बार फिर महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग में कार्मिकों की तैनाती हेतु टेंडर में हो रही लेट लतीफ के कारण विभागीय कार्य पद्धति पर संदेह हो रहा है।महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग के 2021-22 का टेंडर “ए-स्क्वायर” के माध्यम से हुए थे, बेरोजगार युवा अभी भी विभाग के भरोसे बैठे हुए हैं परंतु विभाग बेरोजगार युवाओं की कोई सुध लेने को तैयार नहीं है जिसके कारण उत्तराखंड के इन सैकड़ो बेरोजगार युवाओं पर रोजी-रोटी का संकट मंडराने लगा है। कहीं यह बेरोजगार युवा हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे बेरोजगारी के कारण सोसाइट वाले मैटर की तरफ देखने पर मजबूर तो नहीं हो रहे आखिर सरकार और विभाग इन बेरोजगार युवाओं की सुध क्यों नहीं ले रहा है। वहीं इस मामले में अभी से भ्रष्टाचार की बू आने लगी है।
आपको बता दें कि हाल ही में कर्नल अजय कोठियाल द्वारा किये गए स्टिंग ऑपरेशन में आउटसोर्स कंपनी “ए-स्क्वायर” सिक्योरिटी के नाम पर
बेरोजगार युवाओं से ठगी करी थी, विभाग ने इस मामले को “ए-स्क्वायर” का मामला बताकर दबा दिया था। अगर यही बात थी तो जब सिक्योरिटी मनी भी ए स्क्वायर कंपनी द्वारा ली गई है तो विभाग ने क्यों नहीं ए-स्क्वायर का अनुबंध आगे बढ़ाया क्या यह उत्तराखंड के युवा बेरोजगारों के सपनों पर प्रहार तो नहीं,वही विभाग अब एक महीने से नए टेंडर प्रक्रिया में उलझ हुआ है,वही दूसरी और इन बेरोजगार युवाओं पर रोजी रोटी का संकट पैदा होने लगा है।
टेंडर प्रक्रिया में उलझा विभाग
बता दे वर्ष 2021-22 में महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग ने “ए-स्क्वायर” आउटसोर्स कंपनी को ठेका दिया था,जिसमे कंपनी ने बेरोजगार युवाओं से सिक्योरिटी मनी के नाम पर लाखों रुपए दिए थे मगर अब कंपनी का टेंडर समाप्त होने के बाद भी कंपनी इन द रोजगार युवाओं का पैसा वापस करने में कोई दिलचस्पी नहीं ले रहा है जबकि वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक देहरादून में इसकी शिकायत भी हो चुकी है वही जब बेरोजगार युवा कंपनी को पैसा वापस करने की बात कर रहे हैं तो कंपनी या टालमटोल कर बेरोजगार युवाओं से दोबारा टेंडर होने की बात कह दे रहा है वहीं दूसरी ओर विभाग टेंडर प्रक्रिया में उलझा रह गया है कहीं विवाह के उच्च अधिकारी टेंडर प्रक्रिया में ठेकेदारों से सेटिंग सेटिंग का खेल तो नहीं खेल रहे हैं वहीं दूसरी और विवाह के भ्रष्ट अधिकारी टेंडर प्रक्रिया की फाइलों में छेड़छाड़ करने लगे हैं इससे क्या साबित होता है कि विवाह के भ्रष्ट अधिकारी अपने चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए इन दस्तावेजों में छेड़छाड़ कर रहे हैं। बता दे बाल विकास विभाग में एक माह से टेंडर प्रक्रिया में ही उलझा है वहीं दूसरी ओर विभाग में कार्यरत आउट सोर्स कंपनी एक माह से घर में बैठे हैं जिसके कारण उनकी रोजी-रोटी पर संकट मंडराने लगा है, मगर जिम्मेदार विभाग इन बेरोजगार युवाओं में अपनी कोई दिलचस्पी दिखाने को तैयार ही नहीं है। वही जब पर्वतजन ने इस मामले में बाल विकास के उपनिदेशक से संपर्क करना चाहा तो उप निरीक्षक डॉ एस के सिंह फोन उठाने के लिए तैयार ही नहीं थे,क्या उपनिदेशक साहब इस मामले में अपनी नाकामी को छुपा रहे है।