प्रवर्तन निदेशालय ईडी ने डेढ़ सौ से अधिक शिक्षण संस्थानों के अधिकारियों और उनके स्वामियों को करोड़ों के छात्रवृत्ति घोटाले में नोटिस जारी कर दिया है। सभी को 4 वर्ष के दस्तावेजों के साथ 10 दिनों के भीतर तलब किया गया है।संस्थानों से वर्ष 2013 से 2017 तक के सभी छात्रों के दस्तावेज और अन्य स्रोत से अर्जित धन के दस्तावेज मांगे गए हैं। सभी को 10 दिनों के भीतर ईडी कार्यालय में प्रस्तुत होने को कहा गया है।
ईडी के सहायक निदेशक विदी चंद्रशेखर की ने 150 से अधिक शिक्षण संस्थानों को नोटिस जारी किए गए हैं।
ईडी ने इन संस्थानों के खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग के तहत जांच शुरू की है।
यह जांच लॉकडाउन से पहले ही शुरू होनी थी
करोड़ों के छात्रवृत्ति घोटाले मामले में ईडी ने स्थानों के मालिकों को लॉकडाउन से भी पहले भी नोटिस जारी किए थे, लेकिन लंबे समय तक कोरोनाकाल के चलते इसे बंद कर दिया गया। अब दोबारा से यह नोटिस इन शिक्षण संस्थानों को भेजे गए हैं।
जानिए पूरा मामला:
उत्तराखंड प्रदेश में 300 करोड़़ से अधिक के छात्रवृत्ति घोटाले का खुलासा वर्ष 2017 में हुआ था।
कई शिक्षण संस्थानों ने एससी-एसटी छात्रों के फर्जी प्रवेश दिखाकर करोड़ों रुपये डकार लिए थे। मामले की जांच के लिए सरकार ने तब एसआईटी का गठन किया था।
एसआईटी ने वर्ष 2018 में जांच शुरू की तो हरिद्वार जिले में 51 मुकदमे दर्ज किए गए। इनमें 78 शिक्षण संस्थान और उनके मालिक शामिल थे।
देहरादून में 32 मुकदमों में 57 शिक्षण संस्थानों व उनके अधिकारियों को आरोपी बनाया गया।
एसआईटी ने जांच के दौरान उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के कई सरकारी अधिकारियों पर भी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमे दर्ज किए।
सरकारी अधिकारियों के खिलाफ चल रही है, जांच
एसआईटी ने इस मामले में सरकारी अधिकारियों के खिलाफ भी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत जांच शुरू की थी। लगभग 90 फीसदी जांच पूरी हो चुकी है। इनमें कुछ अधिकारी उत्तराखंड और बाकी उत्तर प्रदेश के हैं। फिलहाल एसआईटी का पर्यवेक्षण एसपी उत्तरकाशी कर रहे हैं। इससे पहले करीब ढाई साल तक एसपी मंजूनाथ टीसी ने पर्यवेक्षण किया था।
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