गजब : एनएच-74 और भर्ती घोटाले की सीबीआई जांच से मुकरने वाले त्रिवेंद्र, आज खुद कर रहे जांच की मांग
सियासत का खेल
सियासत के खेल भी निराले होते हैं। जब वर्तमान सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत उत्तराखंड के मुख्यमंत्री थे, तब भर्ती घोटाले और पेपर लीक के मास्टरमाइंड हाकम सिंह उनके संरक्षण में फल-फूल रहे थे। उस समय उन्होंने सीबीआई जांच की मांगों को खारिज कर दिया था। लेकिन आज जब वे मुख्यमंत्री नहीं हैं, तो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सीबीआई जांच कराने की सलाह दे रहे हैं।
विधानसभा में दिया था आश्वासन
वर्ष 2017 में मुख्यमंत्री रहते हुए त्रिवेंद्र सिंह रावत ने विधानसभा में एनएच-74 भर्ती घोटाले की सीबीआई जांच कराने का वचन दिया था, लेकिन बाद में रहस्यमयी तरीके से पीछे हट गए। सरकार ने केवल एसआईटी जांच कराई, जबकि विपक्ष और आरोपी डीपी सिंह लगातार सीबीआई जांच की मांग कर रहे थे।
बेरोजगारों की त्रासदी
वन दरोगा भर्ती घोटाले से निराश होकर एक बेरोजगार ने आत्महत्या कर ली थी। उसने कहा था कि “वह अगले जन्म में भर्ती परीक्षा देगा, क्योंकि इस जन्म में घोटाले ने उसका भविष्य खत्म कर दिया है।” इसके बावजूद त्रिवेंद्र सरकार ने आंदोलनकारियों की आवाज दबाने के लिए दमनात्मक कार्रवाई की।
धामी से अदावत
त्रिवेंद्र सिंह रावत और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के बीच अदावत पुरानी है। जब धामी खटीमा से चुनाव हारे थे, तब त्रिवेंद्र ने बयान दिया था कि मुख्यमंत्री विधायकों में से चुना जाना चाहिए। इसके बाद से वे लगातार धामी सरकार पर कानून-व्यवस्था और अवैध खनन जैसे मुद्दों पर हमला बोलते रहे हैं।
अवैध खनन का विवाद
त्रिवेंद्र सरकार के समय में अवैध खनन चरम पर था। कैग ने ऑडिट रिपोर्ट में आपत्ति जताई थी और हरिद्वार के संतों ने आत्महत्या तक कर ली थी। बावजूद इसके, त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अवैध खनन पर रोक नहीं लगाई और संरक्षण देने के आरोपों में घिरे रहे।
हाकम सिंह विवाद
त्रिवेंद्र सिंह रावत और हाकम सिंह का रिश्ता भी कई बार विवादों में रहा। एक चर्चित वाकया तब हुआ जब प्रसूता को सड़क पर ही बच्चे को जन्म देना पड़ा, जबकि हाकम सिंह की मां के लिए मुख्यमंत्री ने हेलीकॉप्टर भेजा। इस घटना ने काफी आलोचना बटोरी।
एनएच-74 घोटाले की फाइलें
आरटीआई से मिले दस्तावेज बताते हैं कि 19 मई 2017 के बाद एनएच-74 घोटाले की सीबीआई जांच की फाइल पर कोई हस्ताक्षर तक नहीं हुआ। सचिवालय गृह अनुभाग-2 में संरक्षित दस्तावेज बताते हैं कि शासन ने सीबीआई जांच कराने का विचार दबाव में छोड़ दिया था।
धामी सरकार की कार्रवाई
2016 से शुरू हुआ भर्ती घोटाला 2022 में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सख्ती से रुका। एसटीएफ की जांच में अब तक 41 आरोपी जेल भेजे जा चुके हैं और उत्तराखंड से लेकर यूपी तक फैले नकल माफियाओं के नेटवर्क को ध्वस्त किया गया।
2020 में हाकम सिंह की बचत
हरिद्वार में फॉरेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा में ब्लूटूथ नकल मामले में हाकम सिंह और अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ, लेकिन ठोस कार्रवाई नहीं हुई। अगर उस समय सख्ती बरती जाती तो युवाओं के साथ इतना बड़ा धोखा शायद नहीं होता।
बड़ा सवाल
जब मुख्यमंत्री रहते हुए त्रिवेंद्र सिंह रावत सीबीआई जांच से पीछे हट गए थे, तो अब किस मुंह से सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं? सवाल यही है कि क्या यह बेरोजगारों की सहानुभूति के लिए है या धामी सरकार से राजनीतिक अदावत का हिस्सा?
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