ब्यूरो न्यूज़ उत्तराखंड ब्रॉडकास्ट
उत्तराखंड की वन संपदा के लिए हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी बुरा ही रहा,आंकड़ों के अनुसार जंगल जलने के सारे आंकड़े ध्वस्त हो गए।
बीते दिनों जंगल की आग से 4 वनकर्मी भी झुलस कर मर गए,जंगलों की आग बताती हैं राज्य का पूरा तंत्र इस समस्या से निपटने में फेल हो चुका हैं,बिना सुरक्षा ही वनकर्मियो को आज बुझाने भेज दिया जाता हैं।
जंगल में लगी आग बुझाने के लिए वन विभाग प्रतिवर्ष ग्रामीणों को फायर वाचर बनाता हैं,जिन्हें उसका भुगतान किया जाता हैं,जिन फायर वॉचर के कंधे पर आग बुझाने की बंदूक रखकर वन विभाग के अधिकारी अपनी पीठ थपथपाते हैं लेकिन सच इसके विपरीत हैं असल में जंगल में आग के बीच ग्रामीण वाचर होते हैं।
लेकिन सिस्टम की लापरवाही और बदहाली देखिए,जंगल की आग के बीच ग्रामीण अपना जीवन गिरवी रख देते हैं उनका ही छोटा सा मानदेय आग बुझाने वाला मोटा बजट अपने हाथ में रखें वन विभाग के अधिकारी समय से नहीं दे पाते।
उदाहरण तक के तौर पर आपको बताते हैं,सज्जन सिंह और नरेंद्र सिंह तराई पूर्वी प्रभाग में ग्रामीण फायर वाचर है,सज्जन सिंह ने हमें बताया कि वर्ष 2022-2023 में बुझाई आग का मानदेय वन विभाग द्वारा अब तक उन्हें नहीं दिया गया है,वहीं दूसरे फायर वाचर का कहना है कि अप्रैल मई जून 2023 का मानदेय आज तक वन विभाग द्वारा उनको नहीं दिया गया,जबकि इस बारे में लगातार फॉरेस्ट गार्ड और रेंजर को बताया जा रहा है।
असल में यह ग्रामीण फायर वाचर बड़े अधिकारियों तक पहुंचे तो नहीं पाते,अब यह सवाल यह हैं की 2 वर्ष पूर्व बुझ चुकी आग की मजदूरी आखिर इन्हें कब मिलेगी और क्या कारण है कि प्रतिवर्ष आग बुझाने के नाम पर मिलने वाले मोटे बजट के बाद भी इनका मानदेय नहीं मिल सका।
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