उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने हल्द्वानी के राजकीय मैडिकल कॉलेज के 27 छात्रों की रैगिंग के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई में मैडिकल कालेज के प्रिंसपल को अंतिम अवसर देते हुए 20 अप्रैल तक जवाब पेश करने को कहा है।
राज्य सरकार की तरफ से मुख्य स्थायी अधिवक्ता सी.एस.रावत ने कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश संजय कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति आर.सी.खुल्बे की खण्डपीठ को बताया कि मैडिकल कालेज प्रबंधन ने न्यायालय के आदेशानुसार परिषर के सभी सी.सी.टी.वी.कैमरों को ठीक करा दिया है।
न्यायालय ने समाचार पत्रों में छपी खबर का भी संज्ञान लिया, जिसमे कालेज प्रबंधन ने कहा कि “रैगिंग करने वाले छात्रों के ऊपर अर्थदंड लगाया गया है” सरकार से इस पर भी स्पष्ठ करने को कहा है।
मामले की अगली सुनवाई 20 अप्रैल को तय की गई है। पूर्व में न्यायालय ने मामले की जाँच कराने हेतु कमिश्नर कुमायूँ और डी.आई.जी.कुमायूँ की दो सदस्यीय कमेटी गठित की थी और दो सप्ताह के भीतर जाँच कर दोषियों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए थे ।
रिपोर्ट में जो शिकायतें थी वे सही पाई गई, इसके अलावा कहा गया कि कालेज परिसर में सी.सी.टी.वी. बहुत कम हैं और जो हैं वो भी खराब हैं । प्रिंसिपल ने 18 मार्च को अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर दिया है।
मामले के अनुसार हरिद्वार निवासी सचिदानंद डबराल ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि हल्द्वानी के राजकीय मैडिकल कालेज में 27 छात्रों का सिर मुड़वाकर उनकी रैगिंग की गई। उनके पीछे बाकायदा एक सुरक्षा गार्ड भी चल रहा है। हालांकि, कॉलेज प्रबंधन का कहना है कि उसके पास रैगिंग की कोई शिकायत नहीं आयी है। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने न्यायालय को बताया कि वायरल वीडियो में 27 छात्र एक लाइन में खड़े सिर मुड़वाये हुए है और सभी के हाथ पीछे की ओर है। एक गार्ड उनके पीछे तालिबानी स्टाइल में खड़ा हुआ है। कहीं छात्र भाग न जाएं। रैगिंग करना सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों के विरुद्ध है। समाचार पत्रों में छपी खबर और वायरल वीडियो से पता लगा कि ये सभी छात्र एम.बी.बी.एस.प्रथम वर्ष के हैं। प्रथम वर्ष के सभी स्टूडेंट्स को बाल कटवाने के निर्देश इनके सीनियर छात्रों ने दिए थे। इस मामले को रैंगिंग से जोड़कर देखा जा रहा है। जहां तक छात्रों के बाल काटने का मामला है कालेज की तरफ से कहा गया कि छात्रों के सिर में डेंड्रफ और जुएं पड़ गए थे, इसलिए इनके बाल मुड़वा दिये। याचिककर्ता के अधिवक्ता ने वायरल वीडियो को न्यायालय में दिखाया था।