देहरादून। उत्तराखंड में हुए अरबों के छात्रवृत्ति घोटाले की जांच में नई परतें खुल रही है। नया मामला और भी चौंकाने वाला है। विजिलेंस मुकदमे का सामना कर रहे आईएएस अफसर और समाज कल्याण विभाग के अपर सचिव ने अपने एक आदेश से रुड़की के एक निजी कॉलेज को सवा पांच करोड़ भुगतान का सीधा आदेश कर दिया। अब सरकार इसकी वसूली की कोशिश कर रही है।
अहम बात यह है कि अपने आदेश में अपर सचिव ने स्थायी और अस्थायी तौर पर अस्वीकृत आवेदन पत्रों को स्वीकृत मानकर ऑफलाइन भुगतान आइडियल बिजनेस स्कूल ऱुड़की को करवा दिया था। अपने आदेश में उन्होंने यह भी लिखा कि मुख्यमंत्री दफ्तर से मिले निर्देशों के क्रम में ऐसा किया जा रहा है। ऐसे में सवाल यह है कि जब अपर सचिव के इस आदेश को गलत मानते हुए अपर मुख्य सचिव ने इस राशि को स्कूल से वापस लेने का आदेश दिया तो अपर सचिव से क्यों कोई पूछताछ नहीं की गई। इतना ही नहीं, घोटाले की जांच कर रही एसआईटी ने इस भुगतान को गलत मानते हुए स्कूल प्रबंधन को गिरफ्तार कर लिया तो इस राशि को जारी करने वाले आईएएस अफसर के आदेश को जांच के दायरे में क्यों नहीं लिया गया।