ब्यूरो न्यूज़ : उत्तराखंड ब्रॉडकास्ट
यूं तो एक तरफ इन दिनों उत्तराखंड की वन संपदा लगातार आग से दहक रहीं,लगातार जलते उत्तराखंड के जंगल चिंता का विषय हैं जिसमें जिम्मेदार अधिकारियों और सरकार की बात की जाएं तो दोनों ही वन संपदा को बचाने में फिलहाल नाकाम नजर आते हैं।
वहीं दूसरी तरफ कुछ पर्यावरण प्रेमी प्रकृति प्रेमी ऐसे भी हैं जो प्रकृति संरक्षण के लिए न खुद जागरूक हैं बल्कि दूसरों को भी इसके प्रति जागरूक करने में लगे हैं,भागती दौड़ती जिंदगी के बीच भी प्रकृति के लिए समय निकाल कर एक उपकार हम सभी पृथ्वी में जीवित प्राणियों और पीढ़ियों के लिए कर रहें हैं।
पर्यावरण संरक्षण पर काम करने वाले डॉ बिक्रान्त तिवारी पिछले वर्ष की भांति इस वर्ष भी नैनीताल के नाई गांव में एक हजार से ज्यादा चाल खाल बना रहे हैं।
इन चाल खाल से लगभग चालीस लाख लीटर वर्षा का पानी सालाना संचय होगा,इन चाल खाल से न केवल भूमि का जल स्तर बढ़ेगा बल्कि मिट्टी कटाव कम होगा,यहां के वन्य प्राणी को भी फायदा होगा,नमी के स्तर को बढ़ा देने से जंगलों में आग लगने की संभावना भी कम होती है।
डॉ बिक्रान्त तिवारी ने कहा कि “जब सभी कहते हैं कि पहाड़ों की जवानी और पानी ठहरती नही है तो उसके लिए मजबूत और सकारात्मक कदम उठाने की आव्यशक्ता है,और इन्ही को रोकने के लिए बिना किसी विलंब के लाखों लीटर पानी बचाने का प्रयास स्थानीय लोगों के साथ मिल कर किया जा रहा है।
गौरतलब है कि डॉ बिक्रान्त तिवारी पर्यावरण के क्षेत्र में देश भर में पहले से ही 2 करोड़ से ज्यादा वृक्षारोपण का लक्ष्य लेकर लोगों को जागरूक कर रहे हैं,उत्तराखंड में भी लाखों पौधे पिछले कई वर्षों में उन्होंने लगवाये हैं,निजी स्तर पर लाखो लीटर वर्षा जल संचयन का यह प्रयास स्थानीय लोगों द्वारा काफी पसंद किया जा रहा है।
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