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पंचायत चुनाव में बड़ा मोड़: कोर्ट बोला- आरक्षण के नाम पर नहीं चलेगा खेल!
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हाईकोर्ट ने पंचायत चुनाव मामले को प्राथमिकता से लिया
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सरकार ने कहा – आरक्षण प्रक्रिया में किया बदलाव
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कोर्ट ने कहा – चुनाव नहीं रोकेंगे, रोटेशन स्पष्ट करें
देहरादून: उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों पर लगी रोक से जुड़े मामले की सुनवाई आज उच्च न्यायालय में हुई, जहां सरकार ने अपना पक्ष विस्तार से रखा। मुख्य न्यायाधीश जे. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने इस मामले को प्राथमिकता से सुनते हुए अगली सुनवाई कल सुबह तय की है।
आज कोर्ट में राज्य सरकार की ओर से स्टे वेकेशन (स्थगन हटाने) याचिका पर सुनवाई हुई। महाधिवक्ता एस.एन. बाबुलकर ने सरकार की ओर से बहस करते हुए कहा कि पंचायत चुनाव लंबे समय से लंबित थे और इनके संचालन के लिए निर्धारित प्रक्रिया का पालन किया गया है।
उन्होंने उत्तराखंड पंचायती राज अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों का हवाला देते हुए कोर्ट का ध्यान आकर्षित किया। साथ ही, मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के कुछ दिशा-निर्देशों का उल्लेख करते हुए यह भी कहा कि सरकार चुनाव कराने के पक्ष में है, और इसीलिए आरक्षण को 70% से घटाकर 50% किया गया है।
याचिकाकर्ता की आपत्ति:
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता शोभित सहारिया ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता सामान्य वर्ग से है, लेकिन उसकी सीट लगातार तीन टर्म से आरक्षित है, जो संविधानिक भावना के विरुद्ध है। उन्होंने कहा कि सरकार आरक्षण प्रक्रिया के प्रथम चरण की बात कर रही है, जबकि वास्तव में यह तीसरा या चौथा चरण प्रतीत हो रहा है।
कोर्ट की सख्ती:
मुख्य न्यायाधीश जे. नरेंद्र ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा –
“इस आरक्षण और रोटेशन की प्रक्रिया को एक-दो दिन में दुरुस्त करके न्यायालय के समक्ष लाओ। हम यहां चुनाव टालने के लिए नहीं बैठे हैं। याचिकाकर्ता की बात सुनो और ऐसी व्यवस्था करो जिससे उसका हक भी सुरक्षित रहे। रोटेशन का स्पष्ट विवरण कोर्ट को दो।”
कोर्ट ने साफ कहा कि चुनाव नहीं रोके जाएंगे, लेकिन रोटेशन प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित की जानी चाहिए।
अब इस मामले की अगली सुनवाई 26 जून की सुबह होगी, जिसमें सरकार को रोटेशन से जुड़ी पूरी रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत करनी होगी।
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