भारत-चीन सीमा से सटे उत्तराखंड के सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण गांव गुंजी ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी विमला गुंज्याल को ग्रामीणों ने सर्वसम्मति से ग्राम प्रधान चुना है। इस पद पर उनका निर्विरोध चयन न केवल एक प्रशासनिक निर्णय है, बल्कि यह सीमांत गांव में विकास की नई रोशनी का प्रतीक बन गया है।
सेना की चौकसी वाला गांव, अब प्रशासनिक अनुभव की छांव में
गुंजी गांव, जो पिथौरागढ़ जिले की व्यास घाटी में स्थित है, भारत-चीन और भारत-नेपाल की सीमा के बेहद करीब बसा हुआ है। समुद्र तल से लगभग 3500 मीटर की ऊंचाई पर बसे इस गांव की सामरिक और सांस्कृतिक पहचान पहले से ही विशिष्ट रही है। अब जब पूर्व आईजी आईपीएस विमला गुंज्याल जैसे अनुभवी अधिकारी गांव की कमान संभाल रही हैं, तो उम्मीदें और ऊंची हो गई हैं।
निर्विरोध चुनी गईं विमला गुंज्याल
ग्राम प्रधान के चुनाव में चार अन्य प्रत्याशियों ने नामांकन पत्र खरीदे थे, लेकिन ग्रामीणों की आपसी सहमति और विश्वास ने एकमत से विमला गुंज्याल के नाम को आगे बढ़ाया। बाकी प्रत्याशियों ने अपना नामांकन वापस ले लिया, जिससे विमला जी निर्विरोध चुनी गईं। उनके धारचूला आगमन पर ग्रामीणों ने उनका जोरदार स्वागत किया।
पहले देश की सेवा, अब गांव का विकास
विमला गुंज्याल ने पुलिस सेवा के दौरान कई अहम जिम्मेदारियां निभाई हैं। अब वह अपने प्रशासनिक अनुभव और दूरदृष्टि के माध्यम से सीमांत गांव के सर्वांगीण विकास का बीड़ा उठाएंगी। ग्रामीणों का कहना है कि उनका नेतृत्व गांव को न केवल मूलभूत सुविधाओं से जोड़ने में मदद करेगा, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क और संचार जैसी आवश्यकताओं को भी प्राथमिकता मिलेगी।
प्रधानमंत्री भी कर चुके हैं गुंजी का दौरा
गुंजी गांव की पहचान केवल सीमांत क्षेत्र तक सीमित नहीं है। यह गांव आदि कैलाश, ओम पर्वत और कैलाश मानसरोवर यात्रा के रास्ते में पड़ता है। वर्ष 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद यहां पहुंचकर इसकी राष्ट्रीय पहचान को और अधिक सशक्त किया था। अब जब यहां की बागडोर एक वरिष्ठ अधिकारी के हाथ में है, तो यह गांव एक आदर्श मॉडल के रूप में उभर सकता है।
गुंजी: संस्कृति, सामरिकता और संभावनाओं का संगम
गुंजी में भोटिया समुदाय के लोग निवास करते हैं, जो अपनी समृद्ध संस्कृति, रीति-रिवाज और पारंपरिक जीवनशैली के लिए प्रसिद्ध हैं। यहां की आजीविका मुख्यतः खेती, पशुपालन और स्थानीय व्यापार पर निर्भर है। सीमावर्ती क्षेत्र होने के कारण यहां भारतीय सेना और आईटीबीपी की निरंतर निगरानी रहती है। प्रवेश के लिए इनर लाइन परमिट अनिवार्य है।
निष्कर्ष
गुंजी गांव के लोग अब एक ऐसे नेतृत्व के साए में हैं, जो सेवा, अनुशासन और प्रशासनिक अनुभव का बेजोड़ मिश्रण है। रिटायर्ड आईपीएस विमला गुंज्याल का निर्विरोध चयन न केवल एक प्रशंसनीय कदम है, बल्कि यह भविष्य में अन्य सीमांत गांवों के लिए भी प्रेरणा बन सकता है।
Discussion about this post