आपदा प्रबंधन विभाग में 100 करोड़ से भी ज्यादा घोटाले और गबन का मामला सामने आया हैं।
आपदा प्रबंधन विभाग के कुछ भ्रष्ट अधिकारी पूरे आपदा प्रबंधन विभाग को दीमक की तरह खोखला कर चुके हैं, राज्य और जनता के धन की लूट करके उत्तराखण्ड राज्य और राज्य सरकार की छवि को धूमिल कर चुके हैं।
घोटालों की बात हो और आपदा प्रबंधन विभाग का जिक्र न हो ऐसा हो ही नही सकता है। आपदा प्रबंधन विभाग घोटालों की दौड़ में समाज कल्याण विभाग और उद्यान विभाग से बस कुछ ही कदम पीछे है।
“वरिष्ठ भाजपा नेता व पूर्व राज्य प्रवक्ता रविन्द्र जुगरान ने मुख्य सचिव, अपर मुख्य सचिव वित्त, सचिव वित्त सचिव आपदा प्रबंधन, अपर सचिव आपदा प्रबंधन और वित्त नियंत्रक को भी पत्र लिखकर इस पर खेद व्यक्त किया। और इन सभी घोटालों की साक्ष्य सहित दो दर्जन से भी ज्यादा बार लिखित शिकायत कर चुके हैं।
लेकिन वर्तमान समय तक आपदा प्रबंधन विभाग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जो कि स्वयं मुख्य सचिव है, सचिव आपदा प्रबंधन विभाग और अपर मुख्य सचिव व सचिव वित्त विभाग ने आरोपी भ्रष्ट अधिकारियों पर कोई भी विधिक कार्यवाही नहीं की है और इन घोटालों और घोटाले करने वाले अधिकारियों पर उदासीन और नजरअंदाज करने वाला रवैया अपनाया है और उन्हें सरक्षण प्रदान किया है।
घोटाले की शिकायतों और भ्रष्ट अधिकारियों पर तत्काल विधिक कार्यवाही ना होने की स्थिति में वे इन सभी घोटालों की संयुक्त रूप से CBI जाँच कराये जाने के लिये मा० उच्च न्यायालय में याचिका दायर करेंगे।”
आपदा प्रबंधन विभाग और वित्त विभाग विधिक कार्यवाही और जाँच के नाम पर केवल लीपापोती कर रहे हैं।आरोपी अधिकारियों को संरक्षण प्रदान कर रहे हैं और घोटालों को दबाने का प्रयास कर रहे हैं।
जाँच समिति Special Audit कराने और Vigilance या SIT से सभी घोटालों की जाँच कराने की संस्तुति कर चुकी है, लेकिन आपदा प्रबंधन विभाग जाँच समिति की रिपोर्ट पर कार्यवाही नहीं कर रहा हैं और रिपोर्ट को दबाने का प्रयास कर रहे हैं।
अगर आपदा प्रबंधन विभाग का वित्तीय वर्ष 2006 से वर्ष 2020 तक के प्रत्येक वर्ष के आय व्यय व वित्तीय खर्चों की महालेखाकार उत्तराखण्ड से Special Audit जाँच करायी जायेगी तो घोटाला 100 करोड़ से भी बहुत ज्यादा का निकलेगा। इसीलिये आपदा प्रबंधन विभाग और शासन द्वारा महालेखाकार उत्तराखण्ड से Special Audit जाँच नहीं करायी जा रही है।
घोटाले जिनकी लिखित शिकायत और साक्ष्य आपदा विभाग, वित्त विभाग और शासन को जुगरान के द्वारा उपलब्ध कराये गये हैं–
1-आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र में गबन की गयी करोड़ों रुपय की धनराशी के सटीक आंकड़े प्राप्त करने के लिये गठित की गयी जाँच समिति Special Audit करने व SIT या विजिलेंस जाँच की संस्तुति कर चुकी है लेकिन जाँच समिति की रिपोर्ट को दबा दिया गया है।
2-आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र के अधिशासी निदेशक पीयूष रौतेला और वित्त अधिकारी के०एन० पाण्डे के द्वारा अवैध ग्रैचुटी के लिये व कार्यालय व्यय के नाम पर 1.5 करोड से अधिक की धनराशी का अनधिकृत आहरण और फर्जी बिलों से समायोजन करके गबन किया गया है।
3-आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र के कई अधिकारियों और कार्मिकों द्वारा ली गयी लाखों रुपय की एडवांस धनराशी, फर्जी बिलों से उक्त धनराशी का समायोजन, मैसन ट्रेनिंग घोटाला, अनुमन्यता से अधिक ग्रेड पे और वेतनमान देकर किया गया वेतन घोटाला जिसमें 01 करोड 35 लाख रुपए से अधिक की रिकवरी होनी है, प्रत्येक वर्ष बिना निविदा के खोज बचाव उपकरणों की खरीद, बिना निविदा के निजी कंपनी के वाहनों की ली गयी सेवा व उन्हें करोड़ों रुपय का भुगतान, तथा कार्यालय उपकरणों की खरीद में करोड़ों रुपय का गबन किया गया है।
4- वर्ष 2015 में कैलाश खेर को केदारनाथ पुनर्निर्माण के कार्यों की प्रशंसा के लिये 12 एपिसोड बनाने हेतु 14 करोड़ का भुगतान किया, लेकिन आज तक उन एपिसोड का कोई अता पता नहीं है और ना ही इनका कहीं टेलीकास्ट किया गया हैं।
5- DHI water and Environment (S) Pvt. Ltd. नाम की कंसल्टेंसी को Disaster Risk Assessment (DRA) डाटा के निर्माण के लिये 27 करोड़ 27 लाख का भुगतान और River Morphology डाटा के निर्माण के लिये 15 करोड़ 86 लाख का भुगतान किया गया है और बदले में इनके द्वारा जो डाटा दिया गया वह एकदम अनुपयोगी और गलत है, इसकी जाँच नहीं करायी जा रही है।
6- Asian Institute of Technology नामक कंसल्टेंसी को 05 करोड़ रूपए में DSS का कार्य दिया गया, इस डाटा का आजतक कहीं कोई उपयोग नहीं किया गया है, डाटा सही है या गलत है इसकी जाँच नहीं करायी जा रही है।