ब्यूरो न्यूज़ उत्तराखंड ब्रॉडकास्ट
यू तो वर्तमान राजनीति पूरी तरह दिखावे की हैं,पोस्टर विज्ञापन बैनर के सहारे स्वयं की पीठ सरकारें खुद ही थपथपा लेती हैं,पहाड़ों पर भले ही हालत कितनी दयनीय क्यों न हो लेकिन नाम बदलकर उन सब पर पर्दा डालना समस्याओं के निराकरण से कई ज्यादा आसान हैं।
कुछ ऐसा ही इन दिनों उत्तराखंड में चल रहा हैं,धामी सरकार ने जोशीमठ का नाम बदलकर ज्योतिर्मठ तो वही नैनीताल जनपद की तहसील कोशियाकटोली का नाम बदलकर परगना कैंची धाम कर दिया हैं।
बताते चलें की जोशीमठ में पूर्व में वहां के पहाड़ों पर किए जा रहें पावर प्लांट के लिए विस्फोट के कारण कई मकानों में दरार आ चुकी,विस्थापन के लिए ग्रामीण आंदोलन करते रहें,कई रातें तिरपाल में काट रहें,ग्रामीण पहाड़ काटने का हमेशा विरोध करते आएं हैं लेकिन सरकार उन ग्रामीणों की एक नहीं सुनती।
अब धामी सरकार से सवाल यह हैं की आखिर क्या नाम बदल देने से,दिनभर मीडिया में इसे स्वयं की महान उपलब्धि बताने से जोशीमठ और कोशियकटोली के लोगो की हर समस्या अब दूर हो जायेगी,क्या पहाड़ पर स्कूल,इलाज,रोजगार अब मिलने लगेगा,सवाल इसलिए भी क्योंकि 2007 में शहर ही नहीं बल्कि पूरे राज्य का नाम हम बदलकर देख चुके हैं,उत्तरांचल से उत्तराखंड होने के बाद भी पहाड़ के दयनीय हालत आज भी जस की तस हैं।
अब क्या यह कहां जाएं की जोशीमठ में किसी तरह की परेशानी हैं ही नहीं क्योंकि जोशीमठ कोई जगह हैं हो नही।
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