पहले दिन नवप्रवेशी छात्र-छात्राओं का भव्य स्वागत किया गया। विश्वविद्यालय में गूंजे बॉलीवुड, पंजाबी, गढ़वाली और नेपाली गीतों ने कार्यक्रम को और भी जीवंत बना दिया। हाईवोल्टेज साउंड और आकर्षक सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने समां बांध दिया।
शिक्षा का अर्थ है चरित्र निर्माण – महंत देवेंद्र दास
विश्वविद्यालय के माननीय प्रेसिडेंट श्रीमहंत देवेंद्र दास जी महाराज ने अपने संदेश में कहा कि “शिक्षा तभी सार्थक है जब वह चरित्र निर्माण और समाज सेवा की ओर प्रेरित करे।” उन्होंने नवप्रवेशी छात्र-छात्राओं को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएँ दीं।
कुलपति ने दिया प्रेरक संदेश
दीक्षारंभ का उद्घाटन विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. (डाॅ.) कुमुद सकलानी, रजिस्ट्रार डाॅ. लोकेश गम्भीर और छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो. डॉ. मालविका कांडपाल ने दीप प्रज्वलित कर किया।
कुलपति डॉ. सकलानी ने कहा –
“जीवन में सफलता पाने का कोई शॉर्टकट नहीं होता। यदि लक्ष्य महान हैं, तो प्रयास भी महान होने चाहिए। अकादमिक उपलब्धियों के साथ मानवीय मूल्य और जीवन के सिद्धांत ही व्यक्ति को समाज में सम्मान दिलाते हैं।”
उन्होंने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे विश्वविद्यालय में बिताए समय का उपयोग चरित्र निर्माण, नेतृत्व क्षमता और समाज सेवा के लिए करें।
तनाव प्रबंधन पर विशेष सत्र
श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के मनोरोग विभागाध्यक्ष एवं प्रोफेसर डाॅ. शोभित गर्ग ने तनाव प्रबंधन और पढ़ाई के दौरान मानसिक दबाव से बचने के टिप्स दिए। साथ ही छात्रों को 17 मिनट के विशेष वीडियो प्रेजेंटेशन के माध्यम से विश्वविद्यालय का परिचय भी कराया गया।
सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने बांधा समां
दीक्षारंभ कार्यक्रम में प्रवेशी छात्रों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। सीनियर छात्रों द्वारा योग पर आधारित नृत्य, नृत्य नाटिका और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. श्रेया कोटनाला ने किया जबकि समापन संयोजक प्रो. डॉ. मालविका कांडपाल के धन्यवाद ज्ञापन और राष्ट्रीय गान के साथ हुआ।
उपस्थित रहे पदाधिकारी
इस अवसर पर विश्वविद्यालय को-ऑर्डिनेटर डाॅ. आर. पी. सिंह, परीक्षा नियंत्रक प्रो. संजय शर्मा पोखरियाल, आइक्यूएसी निदेशक प्रो. डॉ. सोनिया गंभीर, सभी डीन, विभागाध्यक्ष, शिक्षकगण और बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएँ मौजूद रहे।
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