झील के पानी में उतरे लोग, लगाए नारे
स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि पहले से बनी झील को समय रहते साफ कर दिया जाता और यमुना नदी को चैनलाइज किया जाता, तो आज यह भयावह स्थिति पैदा नहीं होती। प्रभावित ग्रामीणों का आरोप है कि लापरवाही की वजह से उनका घर-बार, खेत और कारोबार पानी में डूब गए हैं। मजबूरन उन्हें सुरक्षित जगहों पर शरण लेनी पड़ी है।
ग्रामीणों ने बताया कि 28 जून की रात भी यहां अस्थायी झील बनी थी, लेकिन प्रशासन ने उसे हल्के में लिया। यही वजह है कि अब स्थिति और विकराल हो गई। आक्रोशित लोगों ने यमुनोत्री हाईवे पुल के पास झील में उतरकर प्रदर्शन किया, जिससे अधिकारियों के हाथ-पांव फूल गए।
यमुनोत्री धाम और 12 गांवों का टूटा संपर्क
स्यानाचट्टी झील बनने से यमुनोत्री धाम समेत गीठ पट्टी के 12 गांवों का तहसील मुख्यालय से संपर्क कट गया है। करीब 8,000 ग्रामीण प्रभावित हुए हैं।
झील का जलस्तर इतना बढ़ा कि यमुनोत्री हाईवे पर बना मोटर पुल 5 फीट पानी में डूब गया। नतीजतन राहत-बचाव टीम कल शाम प्रभावित इलाके तक नहीं पहुंच पाई। हालांकि, सिंचाई विभाग, एनएच, लोनिवि, एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमें मौके पर डटी हुई हैं।
स्कूल बंद, 200 से ज्यादा बच्चे प्रभावित
झील बनने से स्थानीय स्कूलों की पढ़ाई भी प्रभावित हुई है।
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स्यानाचट्टी स्कूल के 50 बच्चों को फिलहाल स्कूल न आने के निर्देश दिए गए हैं।
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वहीं गंगनानी के कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय की 150 छात्राओं को सुरक्षा के तहत होटल में शिफ्ट किया गया है।
खंड शिक्षा अधिकारी बीएस चौहान ने कहा कि जलस्तर सामान्य होने के बाद स्कूलों का निरीक्षण किया जाएगा। जरूरत पड़ी तो बच्चों की पढ़ाई ऑनलाइन क्लास के जरिए कराई जाएगी।
होटल और कारोबार पर संकट
स्यानाचट्टी में बनी झील से 3 सरकारी विभागों की संपत्ति, 32 होटल, ढाबे और आवासीय भवन प्रभावित हुए हैं। यहां के व्यवसाय से करीब 60 परिवारों की आजीविका जुड़ी हुई है। यमुनोत्री यात्रा मार्ग में यह अहम पड़ाव है, जहां से रानाचट्टी, जानकीचट्टी और खरसाली होते हुए श्रद्धालु यमुनोत्री धाम पहुंचते हैं।
स्यानाचट्टी में यमुना नदी पर बनी झील ने न केवल लोगों की आजीविका और शिक्षा प्रभावित की है, बल्कि यमुनोत्री धाम की यात्रा भी संकट में डाल दी है। स्थानीय लोग प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगा रहे हैं और समय रहते ठोस कदम उठाने की मांग कर रहे हैं।
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