उत्तराखंड में लगातार नई नई प्रतिभा देखने को मिलती रहती है। हाल ही में उत्तराखंड का युवा गायक गौरव नौडियाल सोशल मीडिया पर धूम मचा रहा है।
हाल में गौरव नौडियाल का होटल की नौकरी माँ खुदेड गीत यूके वॉइस ग्रुप नामक यूट्यूब चैंनल के माध्यम से रिलीज किया गया है , जिसका खुमार होटलियर भाईयो और सभी लोगो के सिर पर चढ़कर बोल रहा है।
गाने को पूरा सुनने के लिए नीचे लिंक पर क्लिक करें:
https://youtu.be/fdYCzRyBtqE
आपको बता दे कि गौरव नौडियाल मूल रूप से पौडी गढ़वाल के थैलीसैण ब्लॉक कंडारस्यूं पट्टी के बहेड़ी (पैठाणी) गांव से है। उन्होने उतराखंड के बहुत से गीत भजन भी गाये हैं। सुपर हिट गीत पैठाणी की रीना से उन्होंने संगीत जगत में गायिका की शुरुआत की।
उत्तराखंड कलाकारों की आवाज ग्रुप एवं अपणु पौडी का कलाकारो का ग्रुप का विशेष सहयोग रहा।गौरव नौडियाल के इस गीत को दून स्टूडियो ने सजाया और प्रदीप पंत ने प्रोड्यूस किया है।
कोटद्वार, देहरादून, दिल्ली सभी शहरों में हर जगह से लोग आकर बसे हैं और अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं। पहाड़ का एक युवा वर्ग भी यहाँ आने की एक जद्दोजहद में रहता है।
पहाड़ में प्राकृतिक सौंदर्य तो कूट-कूट कर भरा है लेकिन यहाँ का जीवन अभावों में गुजरात है। उत्तराखण्ड अलग राज्य बनने के बाद भी यहाँ स्थिति वैसी ही है। यहाँ शिक्षा के लिए युवाओं को बहार जाना पड़ता है शिक्षा के बाद उद्योग नोकरियों की तलाश में शहर की तरफ देखना पड़ता है। ऐसे में गरीब परिवारों से हमारे पहाड़ी भाई लोग पढ़ने के लिए आना तो चाहते हैं किंतु आर्थिक स्थिति ठीक न होने की वजह से वो नोकरियों की तलाश में रहते हैं।
12 वी के बाद कुछ होटलों का सफर तय करते हैं जिसके साथ अपनी पढ़ाई जारी रखते हैं। कुछ के ऊपर अपने घर की भी जिम्मेदारी होती है वो आठ दस हजार की नोकरी में जिसे बखूबी निभाते हैं।
किसी ने बहुत खूबसूरत लाइन कहीं है – हम जैसे मीडिल क्लास के लोग उसी दिन अडल्ट हो जाते हैं जिस दिन हमें पता चलता है कि हमारे पापा की इनकम घर के खर्चो से कम है।
यह पहाड़ी एक युवा वर्ग की सच्चाई है जिसे इस गाने में बताने की कोशिश की गई है। उनकी कठनाइयाँ घर दूर आना यहाँ उन्हें क्या क्या देखना पड़ता है फिर भी वो अपना संघर्ष नही छोड़ते।
आज भी देहरादून में ऐसे अनेक युवाओं को देखा जा सकता है जो देश की सेवाओं में जाने की तैयारी कर रहे हैं और होटलों में जॉब भी, फिर ये ही सफल होकर हमारे देश की सीमाओं पर जान की परवाह किये बगैर हम सब की रक्षा के लिए डटे रहते हैं।
ये वो ही कर सकता है,जिसने बचपन से घर की जिम्मेदारी सर पर ले ली ओर फिर बाद में देश की।
धन्य है ऐसी मां और ऐसे पहाड़ी देशभक्त कुछ देशभक्त आज भी उन्हीं होटलों में रह जाते हैं और इसलिए लगे रहते हैं कि मैं पूरा नही कर पाया सपना तो कल मेरा बेटा करेगा।