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देहरादून : रंगों के त्योहार होली की धूम पूरे देश में देखने को मिल रही है। कहीं गुलाल उड़ रहा है, तो कहीं होली मिलन समारोहों में गीत-संगीत की महफिलें सज रही हैं। इसी कड़ी में उत्तराखंड के प्रसिद्ध लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी ने भी अपने सुरों से समा बांधा। लेकिन इस बार उनका गीत सिर्फ रंगों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि सियासत के गलियारों में भी हलचल मचा गया।
नेगी दा के सुरों में सियासी तंज
एक होली मिलन कार्यक्रम के दौरान नेगी दा ने अपने गीत “मत मारो मोहन पिचकारी…” के जरिए वर्तमान राजनीतिक माहौल पर कटाक्ष किया। उनके शब्दों में व्यंग्य के ऐसे तीर थे, जिन्होंने सत्ता पक्ष को असहज कर दिया। उनके गीत में छिपे सियासी संकेत अब हर तरफ चर्चा का विषय बने हुए हैं।
बजट सत्र और बढ़ता सियासी तापमान
दरअसल, यह गीत ऐसे समय में सामने आया है जब राज्य के कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के विधानसभा में दिए गए विवादित बयान को लेकर पहले ही सियासी माहौल गरमाया हुआ है। कई जगह विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, और विपक्ष हमलावर है। ऐसे में नेगी दा के गीत ने इस बहस को और हवा दे दी है।
नेगी दा—जनता की आवाज
लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी हमेशा से अपने गीतों के जरिए उत्तराखंड के जनसरोकारों को उठाते रहे हैं। पहले भी उनके कई गीत सत्ता के गलियारों में हलचल मचा चुके हैं। अब होली पर उनका यह गीत एक बार फिर चर्चा का केंद्र बन गया है। जहां समर्थक उनकी बेबाकी की तारीफ कर रहे हैं, वहीं सत्ता पक्ष पर इस कटाक्ष ने नई मुश्किलें खड़ी कर दी हैं।
क्या यह गीत एक नई बहस को जन्म देगा या होली के रंगों में ही घुल जाएगा? यह तो आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन फिलहाल नेगी दा के सुरों ने सियासत में हलचल जरूर मचा दी है।