उत्तराखंड के प्रसिद्ध उद्योगपतियों और बिल्डरों में शुमार सुधीर विंडलास और उनके सहयोगी रवि दयाल सहित पांच लोगों को सीबीआई द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया है। सरकार ने उनके खिलाफ अतिक्रमण और जमीन धोखाधड़ी के दर्ज मुकदमों को सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया था। सीबीआई इस प्रकरण में लंबे समय से जांच कर रही थी और उसने (सीबीआई) सुधीर विंडलास और उनके सहयोगियों के 20 से अधिक ठिकानों पर छापेमारी करते हुए यह कार्रवाई की।
सुधीर विंडलास पर जमीन धोखाधड़ी और अतिक्रमण में पूर्व मुकदमा उनके भाई समेत कुल 12 के खिलाफ राजपुर थाने में दर्ज किया गया था और तभी से उनके ऊपर गिरफ्तारी की तलवार भी लटक रही थी। अब तक उनपर चार मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैं। सुधीर विंडलास पर धोखाधड़ी के निरंतर आरोप लगने के बाद चौथा मुकदमा दर्ज किया गया था। जांच एजेंसियों के अनुसार उन्होंने उस जमीन को फर्जी तरीके से खरीदा जिसमें पहले से ही मुकदमा हो चुका था। इतना ही नहीं उन्होंने रजिस्ट्री कार्यालय से दस्तावेज भी गायब करा दिए, जो स्कैन्ड दस्तावेज से सामने आ गया।
जांच एजेंसियों के मुताबिक सुधीर विंडलास ने दून पैरा मेडिकल कॉलेज के मालिक संजय चौधरी के परिवार की 20 बीघा जमीन को फर्जी तरीके से अपने ड्राइवर के नाम करा दिया था। वर्ष 2010 में हुए इस फर्जीवाड़े में एसआईटी द्वारा जांच की गई और मुकदमे की संस्तुति की। परंतु कई वर्षों तक मुकदमा दर्ज नहीं हुआ। जब पुलिस महानिदेशक को इसकी शिकायत की गई तब उनके निर्देश पर राजपुर थाने में जालसाजी के आरोप में मुकदमा दर्ज हुआ। इसके बाद एक पूर्व सैन्य अधिकारी की शिकायत पर भी उनके खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज किया गया।
इस जमीन को लेकर इसी बीच चला कि सुधीर विंडलास ने अपने भाई प्रदीप विंडलास के साथ मिलकर एक और जालसाजी की है। यहां यह बताते चलें कि संजय चौधरी के परिवार ने इस जमीन को गुप्ता परिवार से खरीदा था, और गुप्ता परिवार ने 1983 में इस जमीन को गंगबहादुर नाम के व्यक्ति से खरीदा था। सुधीर विंडलास ने इस जमीन का जून 2021 में बैनामा कराया था। जिसके लिए उसने गंगबहादुर जो अब इस दुनिया में नहीं हैं, और गुप्ता परिवार के बीच हुई जमीन खरीदने के दस्तावेज ही गायब करवा दिए और गंगबहादुर के वारिसों से इस जमीन को खुद खरीदना दर्शा दिया था। जिससे यह लगा कि संजय चौधरी के परिवार को यह जमीन कभी बेची ही नहीं गई है। जिसकी शिकायत उन्होंने पिछले साल डीआईजी रेंज कार्यालय में भी की थी।
पुलिस और संजय चौधरी की पड़ताल में गुप्ता और गंगबहादुर के बीच हुई इस जमीन के खरीद के सारे स्कैनिंग किए गए दस्तावेज मिल गए, और पूरे साक्ष्य पुलिस को लाकर दिए गए तो पुलिस भी हैरान हो गई। पुलिस महानिदेशक ने इस मामले में एक और मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए। इन आदेशों के बाद अब सुधीर विंडलास, प्रदीप विंडलास, गंगबहादुर के बेटे अमरवीर लामा, रणवीर लामा, अनूप लामा, बेटी जयमाया, निर्मला गुरुंग, रोमा, ऊषा थापा, पुष्पा लामा, मधु थापा, सुखबीर लामा की पत्नी कविता लामा, किशोर थापा की बेटी हिना थापा और सुखबीर लामा के बेटे सूरज लामा के खिलाफ जालसाजी और धोखाधड़ी के आरोप में मुदकमा दर्ज कराया है। उन पर पहला मुकदमा वर्ष 2018 में दर्ज किया गया था। इस जमीन की बाजारी कीमत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसका सर्किल रेट के हिसाब से ही दाम साढ़े पांच करोड़ रुपये है। लेकिन, यहां उन्होंने खरीद में भी गलती कर दी। गलती यह हुई कि सर्किल रेट के हिसाब से स्टांप शुल्क तो पूरा जमा किया, लेकिन इसकी कीमत केवल साढ़े तीन लाख रुपये ही दर्शायी गई थी बस इस बात में विंडलास घिर गए।
सुधीर विंडलास के खिलाफ जब चौथा मुकदमा दर्ज हो गया, तभी से उनकी गिरफ्तारी तय मानी जा रही थी। बताया जा रहा है कि उन्हें हाईकोर्ट से भी स्टे नहीं मिला। ऐसे में गिरफ्तारी से बचने को उन्होंने नेताओं से लेकर अफसरों तक के यहां गुहार लगाई। लेकिन यह गुहार भी काम आती नहीं दिखी। जब सीबीआई ने सभी मुकदमों पर काम शुरू किया तो उनकी मश्किलें बढ़ती चली गई।