ब्यूरो न्यूज़ उत्तराखंड ब्रॉडकास्ट
सावन महीना मतलब देवों के देव महादेव का सबसे प्रिय महीना,कहा जाता हैं इस महीने की हरियाली से हिमालय में निवास करने वाले भगवान भोलेनाथ हर पहर खुश रहते हैं।
आज सावन के दूसरे सोमवार को हल्द्वानी के रामपुर रोड जंगल किनारे स्तिथ भव्य दिव्य मंदिर में प्रातः काल से ही भक्तो की लंबी कतार लगनी शुरू हो गई,भक्तों ने भगवान शिव की पूजा अर्चना कर जल चढ़ाया।
हल्द्वानी से 10 किलोमीटर की दूरी में स्तिथ हैं बेलबाबा मंदिर
कुमाऊं के द्वार कहें जाने वाले शहर से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी में बेलबाबा मंदिर जंगल के किनारे स्तिथ हैं,यहां बेलबाबा महाराज की मूर्ति सहित भगवान भोलेनाथ,बजरंगबली हनुमान,माता रानी,शनि महाराज सहित अन्य देवी देवताओं की आकर्षक मूर्तियां स्थापित हैं।
हर वर्ष लगता हैं शिवरात्रि में मेला
प्रत्येक वर्ष महा शिवरात्रि के पावन अवसर पर श्री बेलबाबा मंदिर में बहुत बड़ा मेला लगता हैं जिस दिन भगवान शंकर को जल चढ़ाने दूर दूर से भक्त लाखों की संख्या में पहुंचते हैं,साथ ही सावन माह और शिवरात्रि पर हरिद्वार से गंगाजल भरकर पैदल भी कई कावड़िए यहां आते हैं।
मंदिर का इतिहास और मान्यता
यदि मंदिर के इतिहास की बात करें तो बताया जाता है कि जब हल्द्वानी से उधम सिंह नगर रुद्रपुर जाना होता था तो तब इस क्षेत्र में सिर्फ जंगल हुआ करता था और जंगल के बीच ही एक कच्ची सड़क हुआ करती थी तब से यहां पर एक बाबा ने पहुंचकर कच्ची गौशाला का निर्माण किया और यहीं पर साधना करने लगे,कई वर्ष पूर्व बताया जाता है कि एक बार जब बारिश नहीं हुई और अकाल पड़ने लगा तो ग्राम वासियों ने उक्त बाबा से प्रार्थना की उन्होंने वर्षा के लिए साधना की और बेल के पेड़ के नीचे बैठकर की,उनकी साधना के पश्चात वर्षा हुई और यही कारण है कि इस मंदिर का नाम बेलबाबा कहा जाता है,वहीं दूसरी मान्यता यह भी है कि बेल के पेड़ के नीचे जंगल में चारा चरने आई गाय स्वयं दूध चढ़ा देती थी।
तुलसा माई ने कई वर्षों तक की मंदिर में सेवा
मंदिर में कई वर्षों तक साध्वी तुलसा माई ने सेवा की कहते हैं तुलसा माई से मिलने उनके भक्त दूर दूर से पैदल जंगलों के रास्ते मंदिर आते थे,मंदिर में प्रतिदिन आने वाले श्रद्धालु बताते हैं माई दोपहर में जो भोग बनाती थी वह कितनी भी संख्या में भक्त आ जाने पर भी कम नही पड़ता था।
अब रहते हैं श्री बालक गिरी महाराज
अब तुलसा माई के शरीर त्याग कर देने के बाद मंदिर में बचपन से श्री बालक गिरी महाराज रह रहें हैं और तुलसा माई के ही द्वारा पालन पोषण इनका बचपन से किया गया हैं।
हर मंगलवार ग्रामीण करते हैं सुंदरकांड पाठ,शनिवार को होता हैं खिचड़ी का भंडारा
प्रत्येक मंगलवार संध्याकाल में आसपास के ग्रामीण भक्त सुंदरकांड पाठ का आयोजन करते हैं और प्रत्येक शनिवार को दोपहर बारह बजे शनि महाराज को खिचड़ी का भोग लगाने के पश्चात भंडारे का आयोजन होता हैं।
अब वैवाहिक संस्कार कार्यक्रम के लिए भी भवन तैयार
कुछ वर्ष पूर्व तक मंदिर परिसर कच्चा था आसपास के ही ग्रामीणों द्वारा एक जिम्मेदार लोगों की कमेटी बना कर मंदिर में पुराने भवनों के जीर्णोधार का बेड़ा उठाया मंदिरों की मरम्मत हो चुकी पूर्व में ही संगमरमर आंगन में लगाया जा चुका था,मंदिर में कमरों सहित एक बड़ा हॉल तैयार किया जा चुका है जहां पर अब गरीब परिवार एक बेहद कम धनराशि में वैवाहिक संस्कार कार्यक्रम आदि आसानी से कर सकते हैं।
श्री बेलबाबा महाराज की कृपा आप सभी पर बनी रहें,खबरों के लिए संपर्क करें +917505446477,+919258656798