देहरादून: यह कहानी एक दिव्यांग युवती की है और करनी बहुचर्चित मिस्टर आधार कार्ड की। चंबा विकासखंड के खेमड़ा ग्राम सभा की एक अविवाहित युवती 100% विकलांग है, शारीरिक और मानसिक रूप से भी।
34 वर्षीय युवती का 2012 में विकलांग प्रमाण पत्र बना और फिर पेंशन भी लगी। 2016 में आधार लिंक होने शुरू हुए तो आधार कार्ड न बन पाने से इस युवती की पेंशन बंद हो गई।
इसी तरह 2019 तक राशन कार्ड में नाम की यूनिट दर्ज थी। जून 2021 में राशन कार्ड भी ऑनलाइन हुए तब आधार कार्ड लिंक न होने से इसके हिस्से की राशन भी बंद हो गई। उसके नाम की यूनिट निरस्त कर दी गई। यह भी आश्चर्य है कि परिवार का राशन कार्ड राष्ट्रीय खाद्य योजना का तो है, लेकिन अंत्योदय का भी नहीं है। 2 किलो गेहूं और 3 किलो चावल ही तो प्रति यूनिट मिलता है।
क्योंकि बैंक खाते में पेंशन आनी बंद हो गई तो चार-पांच साल से कोई ट्रांजैक्शन ना होने से इस दिव्यांग का बैंक खाता भी बंद हो गया।
आखिर आधार कार्ड क्यों नहीं बन पाया क्या कारण है।
आखिर कोई मशीन किसी इंसान की जैविक पहचान को किस सीमा तक पकड़ सकती है। बहुत बार कोशिश की गई लेकिन युवती का आधार कार्ड नहीं बन सका। हाथ की अंगुलियों और पुतलियों के इंप्रेशन मशीन में दर्ज नहीं हो पाए।
क्योंकि युवती जन्म से दिव्यांग है तो शायद अंगुलियों की रेखाएं और पुतलियों का संपूर्ण विकास नहीं हो पाया होगा। परिवार से बाहर अन्य लोगों के सामने उसकी आंखें बंद हो जाती हैं।
आपको बता दे कि यह मामला सामाजिक कार्यकर्ता कपूर सिंह चौहान जी सखी वन स्टॉप सेंटर के संज्ञान में ले आया। आज सखी वन स्टॉप सेंटर नई टिहरी की टीम, केंद्र प्रशासक रश्मि चौहान और काउंसलर अनीता नेगी उनके घर पहुंचे।
युवती की मां विधवा है और एक और भाई भी विकलांग। विकलांग भाई को तो पेंशन और राशन मिल रही है लेकिन विकलांग बहन का हक मिस्टर आधार कार्ड खा गया।
समाज कल्याण विभाग, खाद्य आपूर्ति विभाग और बैंक से बातचीत हुई है और पूरी रिपोर्ट डीएम के लिए तैयार की गई है। संभवत सोमवार को यह प्रकरण डीएम के समक्ष होगा।
यह भी जानकारी मिली है कि कुछ अन्य कारणों से भी कुछ और लोगों के आधार कार्ड नहीं बनने से पेंशन रुकी हुई है। मशीन की सीमाएं देख लीजिए …… आदमी की भी सीमाएं हैं, क्योंकि आधार का ऑनलाइन ढांचा विकसित करने वालों ने भी यहां तक नहीं सोचा होगा।
मामला संज्ञान में लाने के लिए सामाजिक कार्यकर्ता कपूर सिंह चौहान जी और तत्काल युवती के घर पहुंचने पर सखी वन स्टॉप सेंटर का आभार। आशा है जिलाधिकारी जी इस संवेदनशील और विकट समस्या का समाधान कर पाएंगी। हो सकता है, आपके आस पास ऐसे कोई और मामले हों सकते है।