पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत बीजेपी छोड़ने का खामियाजा भुगत रहे है। उत्तराखंड सरकार हरक सिंह रावत को सबक सिखाने के लिए रोज नए मामले सामने ला रही है। आपको बता दे कि सरकार ने आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय के बाद अब लैंसडौन और कालागढ़ में कैंपा के कार्यों का आडिट भी होगा। वन विभाग के प्रस्ताव पर शासन ने मुहर लगा दी है।
धामी सरकार आए दिन हरक सिंह रावत को घेरने की कोशिश तेज होती जा रही हैं। कर्मकार बोर्ड, आयुर्वेद विश्वविद्यालय के बाद अब कार्बेट टाइगर रिजर्व के अंतर्गत कालागढ़ टाइगर रिजर्व वन प्रभाग में पिछले वर्ष अवैध निर्माण कार्यों का मामला सुर्खियां बना था। तब ये बात भी सामने आई कि प्रभाग में वर्ष 2020-21 से 2021-22 तक कैंपा कार्बेट फाउंडेशन से उपलब्ध लगभग पांच करोड़ की धनराशि से विभिन्न कार्य कराए गए। विभिन्न वन प्रभागों में प्रतिकरात्मक वनरोपण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (कैंपा) के कार्यों को लेकर आ रही शिकायतों को देखते हुए विशेष आडिट कराने के वन विभाग के प्रस्ताव पर शासन ने मुहर लगा दी है।
आपको बता दे कि लैंसडौन व कालागढ़ वन प्रभागों में कैंपा के कार्यों के विशेष आडिट कराने के सिलसिले में नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) को पत्र भेजा गया है। वन विभाग के सूत्रों के अनुसार कैग अगले माह से दोनों प्रभागों में आडिट शुरू कर सकता है। इसके अलावा कुछ अन्य वन प्रभागों और वन्यजीव परिक्षेत्रों में इसी तरह का आडिट कराने की तैयारी है।कार्बेट टाइगर रिजर्व के अंतर्गत कालागढ़ टाइगर रिजर्व वन प्रभाग में पिछले वर्ष अवैध निर्माण कार्यों का मामला सुर्खियां बना था। तब ये बात भी सामने आई कि इस प्रभाग में वर्ष 2020-21 से 2021-22 तक कैंपा व कार्बेट फाउंडेशन से उपलब्ध लगभग पांच करोड़ की धनराशि से विभिन्न कार्य कराए गए।
इनमें पाखरो में टाइगर सफारी के लिए दो बाड़ों का निर्माण, सर्विस मार्ग के अलावा कंडी मार्ग पर 1.2 किमी में कल्वर्ट व पुलिया निर्माण, मोरघट्टी, पाखरो व कुगड्डा में भवनों का निर्माण जैसे कार्य शामिल हैं। इनके लिए कोई प्रशासनिक व वित्तीय स्वीकृति नहीं ली गई। इनमें कई कार्य ऐसे हैं, जो कैंपा से नहीं हो सकते। इसके अलावा लैंसडौन वन प्रभाग में वर्ष 2020-21 एवं 2021-22 में 30.88 लाख के कार्य स्वीकृत गतिविधि से खर्च किए गए है। यही नहीं, कोटद्वार में खोह नदी पुनर्जीवीकरण के लिए स्वीकृत दो करोड़ की राशि में से 1.67 करोड़ बाढ़ सुरक्षा दीवार निर्माण में खर्च कर दिए गए, जो कैंपा मद में अनुमन्य ही नहीं है।इस सबको देखते हुए वन विभाग के मुखिया प्रमुख मुख्य वन संरक्षक विनोद कुमार सिंघल ने कुछ समय पहले दोनों वन प्रभागों में कैंपा से आवंटित धनराशि और इससे हुए कार्यों का कैग से विशेष आडिट कराने का प्रस्ताव शासन को भेजा। विभागीय सूत्रों के अनुसार शासन ने इसे स्वीकृति देते हुए कैग को पत्र भी भेज दिया है। आडिट से वास्तविक तस्वीर सामने आ सकेगी।
सूत्रों ने बताया कि मसूरी, नैनीताल व अल्मोड़ा वन प्रभागों के साथ ही कुछेक वन्यजीव परिक्षेत्रों में भी कैंपा के अंतर्गत हुए कार्यों को लेकर शिकायतें विभाग को मिली हैं। विभाग अभी अपने स्तर से इनका परीक्षण करा रहा है। आवश्यकता पडऩे पर इन प्रभागों व वन्यजीव परिक्षेत्रों में भी कैग से विशेष आडिट कराया जा सकता है।