उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने रामनगर के उदयपुरी चोपड़ा में संचालित बालाजी स्टोन क्रशर के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए स्टोन क्रशर मानकों को पूरा नही करने के आधार पर उसके संचालन पर रोक लगा दी है ।
साथ में खण्डपीठ ने राज्य पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, केंद्रीय पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड, क्षेत्रीय पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड और रामनगर के बालाजी स्टोन क्रशर इंडस्ट्रीज को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने को कहा है। मामले की सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति आर.सी.खुल्बे की खण्डपीठ में हुई ।
मामले के अनुसार रामनगर के उदयपुरी चोपड़ा के समाजिक कार्यकर्ता अजीत सिंह ने जनहित याचिका दायर कर न्यायालय से कहा है कि रामनगर के उदयपुरी चोपड़ा में सरकार ने बालाजी स्टोन स्टोन क्रेसर इंडस्ट्रीज को स्टोन क्रेशर लगाने की अनुमति वर्ष 2021 में दी थी। ये स्टोन क्रेशर पी.सी.बी.के मानकों को ताक में रखकर बनाया गया। वर्ष 2021 के मानकों के अनुसार स्टोन क्रेशर को आबादी क्षेत्र से 300 मीटर दूर स्थापित किया जाना था। जहां यह स्टोन क्रेशर लगाया गया है, इसके सौ मीटर दूरी पर एक मकान और ढाई सौ मीटर की दूरी पर कई मकान है। याचिकाकर्ता का कहना है कि जो मकान 100 मीटर की दूरी पर है उसने स्टोन क्रेशर मालिक को अनापत्ति प्रमाण पत्र दे दिया जबकि अन्य ने नही दिया। जिसके आधार पर सरकार ने स्टोन क्रेशर का लाइसेंस दे दिया। जब सरकार से इसके बारे में पूछा गया तो सरकार ने कहा कि स्टोन क्रेशर लगाने के लिए दूरी का मानक लागू नहीं है, बाकि सभी मानक लागू है। याचिकाकर्ता का कहना है कि पी.सी.बी.के मानकों के अनुसार स्टोन क्रेशर आबादी क्षेत्र से 300 मीटर दूर लगाए जाएं। लेकिन सरकार ने इसे अनुमति कैसे दे दी और इसपर रोक लगाई जाए।