उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने नैनीताल में स्थानीय लोगों और सफाई कर्मचारियों द्वारा बांज के पत्ते जलाए जाने को लेकर मुख्य न्यायधीश को प्रेषित पत्र का स्वतः संज्ञान लेकर जनहित याचिका पर सुनवाई की गई ।
मामले को सुनने के बाद कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश संजय कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति आर.सी.खुल्बे की खण्डपीठ ने केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, राज्य सरकार, कलेक्टर नैनीताल और नैनीताल नगर पालिका परिषद से चार सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने को कहा है।
मामले के अनुसार दिल्ली विश्वविद्यालय से विधि की छात्रा मेधा पांडे ने 23 मार्च 2022 को मुख्य न्यायधीश को पत्र लिखा ‘इन री ओपन बर्निंग ड्राईओक लीव्स’ के नाम से जनहित याचिका के रूप में संज्ञान लिया।
पत्र में कहा गया कि नैनीताल बांज के जंगल से घिरा हुआ है और इसकी सूखी हुई पत्तियाँ सड़क, गलियों, छतों में गिरती रहती है। स्थानीय लोग और सफाई कर्मचारी रोड, गलियों और छतों को साफ करते समय इनको जलाते है। जिसका प्रभाव यहाँ के पर्यावरण और अस्वस्थ लोगों पर पड़ रहा है लिहाजा इसपर रोक लगाई जाए।
पत्र में उनके द्वारा यह भी कहा गया की बांज की पत्तियां बहुत ही उपयोगी होती है। इसे जलाने के बजाए इसकी खाद बनाई जा सकती है और ये पत्तियां जमीन की नमी को बनाई रखती है । इनके नीचे कई प्रकार के कीड़े, साँप आदि रहते है। इसे जलाने पर रोक लगाई जाए।