निजी स्कूलों ने भी ट्रांसपोर्टेशन शुल्क 15 से 20% तक बढ़ा दिया है।
बात ये है कि अब फीस के बाद प्राइवेट स्कूलों में बसों की सुविधा भी महंगी होने जा रही है। एक तरफ से अभिभावकों को ये स्कूलों की एक और मनमानी लग रही है।तो वहीं स्कूलों को इसके पीछे डीजल-पेट्रोल और तमाम समस्याओं के कारण नजर आ रहे हैं। इन सबके बीच स्कूलों द्वारा ट्रांसपोर्टेशन शुल्क 15 से 20% तक बढ़ा दिया गया है।
बसों की सुविधा के लिए अब आपको पहले के मुकाबले 25 से 30 रुपए प्रति किमी एक्स्ट्रा रुपए देने होंगे। गौरतलब है कि कोरोना काल में हर तरफ त्राहि त्राहि मची थी। स्कूलों को भी खासा नुकसान हुआ था। बसों के बंद होने से किस्त निकालना दूभर हो गया था।
अब जब सब कुछ सामान्य हुआ तो पेट्रोल-डीजल के दाम आसमान तक पहुंच गए। इसके साथ ही फिटनेस और मेंटेनेंस शुल्क में भी वृद्धि हो गई।
हर पहलू को जानने, जांचने और परखने के बाद अब स्कूल बसों और अन्य वाहनों के किराए में न्यूनतम 250 रुपये से 500 रुपये तक की बढ़ोतरी की गई है। स्कूल प्रबंधकों ने ना सिर्फ डीजल-पेट्रोल और फिटनेस-मेंटेनेंस बल्कि टायरों के बढ़े दामों का भी जिक्र किया है। उनका कहना है कि बसों को प्रतिदिन सड़कों पर खूब दौड़ना पड़ता है। इसलिए समय पर टायल बदलना भी जरूरी हो जाता है।
उल्लेखनीय है कि मौजूदा वक्त में कुछ नहीं तो करीब करीब 1500 वाहन हर दिन सड़कों पर दौड़ते हैं। हल्द्वानी पब्लिक स्कूल एसोसिएशन के सचिव दिवस शर्मा ने जानकारी दी और बताया कि डीजल-पेट्रोल के दामों में 10 रुपए की बढ़ोतरी की गई है। साथ ही मेंटेनेंस का खर्च भी बढ़ा है। ऐसे में बसों के ड्राइवर, कंडक्टर की सैलरी निकालने में दिक्कत हो रही थी। इसलिए बसों के किराए को बढ़ाना एक मजबूरी हो गई थी।