देहरादून: उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण हर साल एक चुनावी मुद्दा बनता है। और फिर पांच साल ठंडे बस्ते में चला जाता है। इस बार का विधान सभा बजट सत्र पहले गैरसैंण में होना तय हुआ था। लेकिन अब चारधाम यात्रा का हवाला देकर देहरादून में ही करने का फैसला हुआ है। उत्तराखंड सरकार ने पिछले लंबे समय से गैरसैंण के लिए कुछ नहीं किया है। साथ ही कमिश्नरी की घोषणा भी सरकारी फाइलों में कैद है। ऐसे में सवाल यह खड़ा हो रहा है कि क्या गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने के त्रिवेंद्र सरकार के फैसले पर फिर से संकट खड़ा हो गया है।
पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत (trivendra Singh Rawat) ने गैरसैंण में चल रहे विस सत्र के दौरान ही गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने और कमिश्नरी का दर्जा देने की घोषणा की थी। त्रिवेंद्र रावत (trivendra Singh Rawat) के कुर्सी से हटने के बाद इस दिशा में एक कदम भी आगे नहीं बढ़ाया गया है। आम चुनाव के बाद पहला ग्रीष्मकालीन सत्र गैरसैंण में आयोजित करने की घोषणा की गई थी। इसका कुछ विधायकों ने यह कहते हुए विरोध भी किया था। कि इस समय चारधाम यात्रा चल रही है। ऐसे में गैरसैंण में विस के सत्र से तमाम तरह की समस्याएं सामने आएंगी। इसके बाद तय किया गया है कि विस का सत्र अब ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण की बजाय अस्थायी राजधानी देहरादून में ही होगा।
अब ऐसे में सवाल यह खड़ा हो रहा है कि क्या ग्रीष्मकालीन राजधानी की घोषणा पर भी कुछ संकट खड़ा हो रहा है। इसे इन तथ्यों के प्रकाश में देखें कि घोषणा के बाद सरकारी सिस्टम ने इस दिशा में एक भी कदम आगे नहीं बढ़ाया है। इतना ही नहीं, गैरसैंण को सूबे की तीसरी कमिश्नरी बनाने की घोषणा को भी सरकारी फाइलों में ही कैद कर दिया गया है। तीसरा सबसे अहम तथ्य चारधाम यात्रा (char dham Yatra) का तर्क है। यह यात्रा हर साल गर्मियों के मौसम में ही होती है। अगर चंद दिनों के सत्र से इस यात्रा पर असर पड़ने के तर्क में कोई सत्यता है तो गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बना दिया गया तो यात्रा कैसे होगी। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत (trivendra Singh Rawat) की गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी की घोषणा पर भी संकट ही दिख रहा है।
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